Sunita Singh

Sunita Singh

आत्मा स्तुति

Aatma Stuti by Sunita Singh

आत्मा तुम एक प्रेरणा हो, तन मन की एक वीणा हो। तुमसे झंकृत सारा मन, अर्पित तुम पर ये जीवन। मन कुंठा तुमसे नहीं छुपी, दुःख की लड़ी तुम ही से जुड़ी। फिर भी धैर्य बधाति तुम, मन में विश्वास…

ख्वाहिशें

ख्वाहिशें

रात की स्याही मेंलिपट गयी कुछ ख्वाहिशेंऔर लिपट गयी मैं इन् ख्वाहिशों में। चंद रोज़ जब आँख खुली तोदेखा ख्वाब थी वो ख्वाहिशें जोलिपटे चादर की तह की तरह खुल गयी। गोया, स्वपन तो न था हकीकत थीक्यों कि सिलवटें…

दृष्टिकोण

Drishtikon by Sunita Singh

उसकी दृष्टि मलिन हो गयीखुले तन को दिखाती वोऔर व्यसनी हो गयी। तिररस्कर, घृणा मादकउन्माद का आवाहन करती वोऔर वासनामयी हो गयी। चीरहरण करती दृष्टियाँबेबसी की कहती कहानियाँ।निडर प्रयत्न करती वोफिर भी दुत्तकार सहती क्यों? सब कुछ दिखाया था उसनेसिर्फ…

पहचान

पहचान- सुनीता सिंह

शून्य से शिखर तक जाना है तुमको,अपनी नई पहचान बनाना है तुमको। हार और जीत का खेल तो सभी खेलते हैं,जीत का गीत हर दिन गुनगुनाना है तुमको।शुन्य से शिखर…. खो न जाना तुम अभी से भीड़ में,अपनी एक अलग…

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