राधा के कृष्ण
हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…
हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…