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सबर

Patience poem by Monil Gami

सबर। कैसा शब्द है ये,ना किसीसे आज तक हुआ,और अगर किसीने कर लिया,तो इसे करने के इस ही,बातों में उलझा रहता है जैसे,“मैंने तो तुम्हारे लिए सबर किया था”हां। शायद…

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