आपका पता हमें नहीं,
पर हमारा पता आपको जानना है।
आप कुछ कहे नहीं,
पर हमारा कहा आपको सुन्ना है।
हमारी खबर जाननी है इन्हे पल पल की,
पर कोशिश कर रहे हैं ये खबर को अपनी दफन रखने की।
दो पल बैठ के बतलाना चाहते हैं हम,
पर दिख जाता है की परवाह करते नहीं हैं हम।
जब दुःख पहुंचा हमसे, तब हम थे बातों से दिल बहलने वाले,
पर जब दुःख हुआ हमें, तब चलो बाद में बात करते हैं,
कह के चल दिए दिल को रुलाने वाले।
चलो ठीक है आखिर जीतना भी तो हमें साथ में ही है।
चलो अच्छा है आज रहना भी तो हमे एक दूसरे के दिल में ही है।
यही तो इश्क़ है,
ये रोता भी है,
और रुलाता भी है।
-आश्वी सोलंकी।