अब लिखू तो क्या?
मेरे शब्द, सिर्फ शब्द नहीं,
कागज़ के कुछ अक्षर बनके रह गए है,
कोई समझता नहीं, या कोई समझना चाहता नहीं,
कलम की धार से तेज़ अब लोगों की जुबां हो गयी है,
पढ़ना और उसे समझना लोग भूल गए है,
एक बार पढ़ा, उसकी तारीफ़ करदी, बस।
कभी अपने जीवन में उतारना
तो इस इंसान ने सीखा ही नहीं,
तुम्हे क्या तुम तो किताब के पन्ने को,
एक कोरा कागज़ समझते हो,
तुम उस कलम को सिर्फ सियाही से भरी एक
सादी कलम समझते हो,
तुम वो अंधे इंसान हो
जो चीज़ें देखकर भी अंधेका कर दे,
इसलिए शायद अब मुझे लगने लगा है,
के अब लिखू तो लिखू क्या?
मेरे शब्द सिर्फ शब्द नहीं,
इंसान के आखों की पट्टी बन गया है,
इंसान के मुँह का ताला बन गया है,
इंसान के दिल का पत्थर बन गया है,अब लिखू तो लिखू क्या?
– मोनिल गामी
अब लिखू तो लिखू क्या?
![ab likhu toh kya by Monil Gami](https://boseartx.com/wp-content/uploads/2022/10/featured-image1.jpg)