राधा के कृष्ण
हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…
हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…
मैंने मृत्यु को देखा है, करीब से महसूस किया है, और मृत्यु से डरा भी हूँ। मैं मृत्यु से डरता हूँ, क्योंकि डरना मेरी प्रकृति है, मृत्यु सत्य है, सहज…
सांई जग झूठा तू सच्चा जग की नैया भूल भुलैया पर नाविक तू अच्छा, सांई जग झूठा। जगत बना व्यापार सर्वथा, बाँटू किससे मन की ब्यथा हानि लाभ का जोड़…
मैं कोई सत्यवादी नहीं सत्यदर्शी हूँ। सत्य देखता हूँ, सत्य दिखाता हूँ, सत्य की राह पर चलना सिखाता हूँ। मेरा सत्य आत्म प्रवंचना नहीं, न ही बेबुनियाद है। सत्य की…
आत्मा तुम एक प्रेरणा हो, तन मन की एक वीणा हो। तुमसे झंकृत सारा मन, अर्पित तुम पर ये जीवन। मन कुंठा तुमसे नहीं छुपी, दुःख की लड़ी तुम ही…