मैं कोई सत्यवादी नहीं सत्यदर्शी हूँ।
सत्य देखता हूँ, सत्य दिखाता हूँ,
सत्य की राह पर चलना सिखाता हूँ।
मेरा सत्य आत्म प्रवंचना नहीं,
न ही बेबुनियाद है।
सत्य की पहली पाठशाला मुझे आज भी याद है।
वेद शास्त्रों का मैं ज्ञानी नहीं,
किन्तु सत्य की परख ने हो
ऐसा भी अज्ञानी नहीं।
मुझे प्राप्त सत्य में सूरज की आँच है मेरा सत्य,
अर्द्ध-सत्य नहीं पूर्ण सम्पूर्ण साँच है।
सत्य मैंने खोजा नही,
पाया है प्यार-दुलार की छाँव में अपनाया है।
सत्य को मैंने,
ममता की ऊँगली पकड़कर सीखा है
वही सत्य, मेरी शिक्षा है,
माँ के आँचल से मुझे प्राप्त भिक्षा है।
रुदल सिंह।