मैंने मृत्यु को देखा है,
करीब से महसूस किया है,
और मृत्यु से डरा भी हूँ।
मैं मृत्यु से डरता हूँ,
क्योंकि डरना मेरी प्रकृति है,
मृत्यु सत्य है, सहज है,
और मरना मेरी नियति है।।
मृत्यु के भय में ही,
मैंने जन्म के सत्य को जाना है
जन्म के बाद मृत्यु को
अवश्य आना है,
मृत्यु का जन्म से नाता पुराना है।।
जन्म और मृत्यु,
मृत्यु और जन्म,
कामनाओं के जगत में
साँझ हैं या भोर हैं।
या यूँ कहें कि
जीवन वृत्त की परिधि के दो छोर है।।
जीवन की इस परिधि का न कोई आदि है,
न कोई अन्त
है मृत्यु अगर पतझड़ है
तो जीवन नया बसन्त है।
जीवन नया बसन्त है।।
रुदल सिंह
![Jeevan Mrityu by Rudal Singh](https://boseartx.com/wp-content/uploads/2022/08/जीवन-मृत्यु.jpg)