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राधा के कृष्ण

Radha ke Krishna by Rudal Singh

हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…

प्रभु का स्नेह

Prabhu Ka Sneh by Rudal Signh

प्रभु का प्यार सागर की लहरों पर सवार मेरे करीब आता है, मेरी प्रार्थना से पूर्व ही, मुझे सस्नेह नहलाता है, आषाढ़ के घने बादलों से अभिभूत मयूर के नृत्य…

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