उसकी दृष्टि मलिन हो गयी
खुले तन को दिखाती वो
और व्यसनी हो गयी।
तिररस्कर, घृणा मादक
उन्माद का आवाहन करती वो
और वासनामयी हो गयी।
चीरहरण करती दृष्टियाँ
बेबसी की कहती कहानियाँ।
निडर प्रयत्न करती वो
फिर भी दुत्तकार सहती क्यों?
सब कुछ दिखाया था उसने
सिर्फ मातृत्व के लिए जो
पड़ा था प्लेटफार्म की सीढ़ियों के नीचे।।
– सुनीता सिंह।