Drishtikon by Sunita Singh

दृष्टिकोण

उसकी दृष्टि मलिन हो गयी
खुले तन को दिखाती वो
और व्यसनी हो गयी।

तिररस्कर, घृणा मादक
उन्माद का आवाहन करती वो
और वासनामयी हो गयी।

चीरहरण करती दृष्टियाँ
बेबसी की कहती कहानियाँ।
निडर प्रयत्न करती वो
फिर भी दुत्तकार सहती क्यों?

सब कुछ दिखाया था उसने
सिर्फ मातृत्व के लिए जो
पड़ा था प्लेटफार्म की सीढ़ियों के नीचे।।

– सुनीता सिंह।
Sunita Singh
Sunita Singh
Articles: 4
en_USEnglish