उम्र, कैसा शब्द है न ये,
उम्र बड़ी हो तो लोग कहेंगे,
बापरे! इतने बड़े हो तुम।
कितना कमाते हो?
बच्चे हुए या नहीं?
अब तुमसे शादी कौन करेगा?
ये वो, और अगर यही उम्र छोटी हो तो,
लोग यह कहेंगे, कि बड़े होकर तुम्हे शादी करनी है,
तुम्हे settle होना है। परिवार शुरू करना है।
असल में हमारा future हमसे पहले यह सोसाइटी तय करलेती है।
बस, अब में थक चूका था, क्योकि हर काम ख़तम करने के बाद मुझसे पहले
मेरे आस पास के लोग मुझे यह पूछ लेते है कि बेटा अब क्या?
दसवीं हो गई? अब क्या?
बारवी हो गई? अब क्या?
Graduation हो गया? अब क्या?
मुझे बस ‘क्या’ यह शब्द से नफरत हो गई थी।
कुछ सवालों के जवाब ढूंढने निकलता तो यह लोग
मेरे रास्ते के ऐसे पत्थर बन जाते कि में उन्हें चाहकर भी न तोड़ पाता।
कुछ दिन बीतें,
मेरी नौकरी लग गयी और मैं
९ से ५ अपने दफ्तर में बिता लेता था।
६ महीने हुए और दफ्तर में एक लड़की join हुई।
हमारी दोस्ती हुई और हम अच्छे दोस्त बन गए,
रोज़ साथ में उठना बैठना,
साथ में खाना, साथ में काम करना।
हाँ! सिर्फ अच्छे दोस्त थे हम।
मुझे पता नहीं था कि यह दोस्ती थी या क्या पर
मेरी पड़ौसी को पक्का यक़ीन था कि यह
दोस्ती नहीं बल्कि प्यार है।
“एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते”
यह उन्होंने असल ज़िन्दगी में भी मान लिया था।
उन्होंने मान लिया था कि हम दोनों एक दूसरे को date कर रहे है।
उनकी नज़रें हम पर ही तिकी रहती थी।
और तो और उन्होंने मेरी माँ से भी बोल दिया था,
कि लड़का हाथ से जा रहा है!!
मेरे प्यार में पड़ने न पड़ने का तो दूर,
मेरी दोस्ती को समझौते का नाम दे दिया गया था।
३-४ साल बीत गए और हम अभी अच्छे दोस्त थे।
और कमला आंटी को तो क्या कोई भी हमे देखता तो यही कहता कि
हम एक दूसरे को date कर रहे है।
और यही पर हमारी कमला आंटी फस चुकीं थी।
घर पर मेरी शादी कि बात चल रही थी,
पर मैंने साफ़ मना कर दिया था।
मुझे घर नहीं बसाना था पर फिर भी मैंने
एक शादी का निमंत्रण पत्र बनवाया
सिर्फ और सिर्फ हमारी पड़ौसी के लिए!
और उसमे लिखा कि,
“शुक्रिया आपके ४ साल मुझपर न्योछावर करने के लिए,
में शादी नहीं कर रहा और न ही डेट कर रहा हूँ।”
फिर क्या था उनकी तो सासें अटकनी ही थी
और आख़िरकार, उन्होंने मुझपर नज़र रखना छोड़ दिया।
कहना में बस इतना चाहता हूँ कि आज के ज़माने में
शादी करना प्यार नहीं बल्कि समझौता है।
जल्दबाज़ी में हम शादी तो कर लेते है society
या फिर परिवार वालों के लिए, पर खुद के लिए नहीं,
अगर शादी करनी ही है,
परिवार बसना ही है
तो क्यों न खुद के लिए करें,
सही समय का इंतज़ार करके,
बिना किसी को दुःख पोहचए,
अपनी खुशियों को दोगुना करके ही करें।
शादी।
यह कोई आखरी मंज़िल नहीं है।
उस से पहले खुद को जानिये और बहुत कुछ हासिल करिएँ!
– मोनिल गामी