Cemetry Poem

समशान

लाखों कहानियां जुडी हुई है,
आज्ज भी राख गर्माहट से भरी हुई है।
पुराने किस्से है यहां पर सुनने वाला कोई नहीं।
लकड़ी, आग और शान्ति सिर्फ इसकी मौजूदगी है।


मंदिर जैसी शांति है यहाँ,
बस एक भगवान् की मूरत नहीं है।
लाखों नाम है इसने पाए,
यहाँ खुश कोई रह न पाए।
कुछ अलग है इसकी कहानी,
आसूं मेरे रोके न रुके।


हड्डियों के टुकड़े मुझे आज भी मिले,
धारावी वालों से लेकर एंटीलिया वालों के,
हर्र कोई एक ही जगह पाए गए।
इससे देख के यह पता चल गया,
के जीना क्या होता है।


भले जन्मे किसी बड़े हॉस्पिटल में।
पर जाना तो सबको समशान में ही है।

– मोनिल गामी
Monil Gami
Monil Gami
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