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मैं वही मिलूंगा

Mein Wahi Milunga- By Monil Gami

मैं वहीँ मिलूंगा,मिट्टी के ढेर में,उस टूटे पुराने घर में।अकेले, तनहा, बेपरवाह और उदास।एक आस हैएक प्यार है,जो इस दिवार कीदरारों में आज भी मौजूद है।जैसे तुम्हे एक आख़री बार…

अब लिखू तो क्या?

ab likhu toh kya by Monil Gami

अब लिखू तो क्या?मेरे शब्द, सिर्फ शब्द नहीं,कागज़ के कुछ अक्षर बनके रह गए है,कोई समझता नहीं, या कोई समझना चाहता नहीं,कलम की धार से तेज़ अब लोगों की जुबां…

It was a Match

It was a match by Monil Gami

प्यार।इसका एहसास मुझे कभी हुआ ही नहीं,पर हाँ बस एक बार इसे महसूस करना चाहता था।पर मैं अपने प्यार को अपनों में नहींपराये लोगों में ढूंढ़ना चाहता था।क्योंकि अपनों से…

घर

Ghar (home) by Monil Gami

घर। सुकून सा सुनाई देने वाला,यह शब्द सिर्फ शब्द नहीं आराम है।यह शब्द हमारे जीवन की छाया है।दुःख हो या सुख हम हमेशा यही जाते है।रात को इस घर की…

सबर

Patience poem by Monil Gami

सबर। कैसा शब्द है ये,ना किसीसे आज तक हुआ,और अगर किसीने कर लिया,तो इसे करने के इस ही,बातों में उलझा रहता है जैसे,“मैंने तो तुम्हारे लिए सबर किया था”हां। शायद…

पुराने गीत और तुम

Love Poem by Monil Gami

प्यार,कितना सुन्दर शब्द है न?पर अगर उसे आजके गीतों में देखा जाए,तो शायद उतना सुन्दर शीतल और शुद्ध नहीं होगा।गाने तो वो हुआ करते थे,जो सिर्फ कुछ शब्दों से भावनाएं…

समशान

Cemetry Poem

लाखों कहानियां जुडी हुई है,आज्ज भी राख गर्माहट से भरी हुई है।पुराने किस्से है यहां पर सुनने वाला कोई नहीं।लकड़ी, आग और शान्ति सिर्फ इसकी मौजूदगी है। मंदिर जैसी शांति…

बोधि-वृक्ष

Bodhi Vruksh by- Rudal Singh

बोधगया में, बोधि वृक्ष के नीचे, बुद्धत्व को प्राप्त, तथागत बुद्ध शांत हो चले थे। ज्ञान से परिपूर्ण प्रशांत हो चले थे। प्राप्तव्य कुछ भी शेष न था, कामना कुछ…

प्रभु तू साँंचा

Prabhu tu Saancha by Rudal Singh

सांई जग झूठा तू सच्चा जग की नैया भूल भुलैया पर नाविक तू अच्छा, सांई जग झूठा। जगत बना व्यापार सर्वथा, बाँटू किससे मन की ब्यथा हानि लाभ का जोड़…

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