अब लिखू तो क्या?
अब लिखू तो क्या?मेरे शब्द, सिर्फ शब्द नहीं,कागज़ के कुछ अक्षर बनके रह गए है,कोई समझता नहीं, या कोई समझना चाहता नहीं,कलम की धार से तेज़ अब लोगों की जुबां…
अब लिखू तो क्या?मेरे शब्द, सिर्फ शब्द नहीं,कागज़ के कुछ अक्षर बनके रह गए है,कोई समझता नहीं, या कोई समझना चाहता नहीं,कलम की धार से तेज़ अब लोगों की जुबां…
प्यार।इसका एहसास मुझे कभी हुआ ही नहीं,पर हाँ बस एक बार इसे महसूस करना चाहता था।पर मैं अपने प्यार को अपनों में नहींपराये लोगों में ढूंढ़ना चाहता था।क्योंकि अपनों से…
घर। सुकून सा सुनाई देने वाला,यह शब्द सिर्फ शब्द नहीं आराम है।यह शब्द हमारे जीवन की छाया है।दुःख हो या सुख हम हमेशा यही जाते है।रात को इस घर की…
सबर। कैसा शब्द है ये,ना किसीसे आज तक हुआ,और अगर किसीने कर लिया,तो इसे करने के इस ही,बातों में उलझा रहता है जैसे,“मैंने तो तुम्हारे लिए सबर किया था”हां। शायद…
प्यार,कितना सुन्दर शब्द है न?पर अगर उसे आजके गीतों में देखा जाए,तो शायद उतना सुन्दर शीतल और शुद्ध नहीं होगा।गाने तो वो हुआ करते थे,जो सिर्फ कुछ शब्दों से भावनाएं…
लाखों कहानियां जुडी हुई है,आज्ज भी राख गर्माहट से भरी हुई है।पुराने किस्से है यहां पर सुनने वाला कोई नहीं।लकड़ी, आग और शान्ति सिर्फ इसकी मौजूदगी है। मंदिर जैसी शांति…
हे सखी ! वो यशोदा का लाल, चपल, चंचल, चतुर बाल कहाँ खो गया? आज वो काँवरी पर टंगी मटकी से मक्खन चुराने नही आया, न खुद खाया, न ग्वाल…
बोधगया में, बोधि वृक्ष के नीचे, बुद्धत्व को प्राप्त, तथागत बुद्ध शांत हो चले थे। ज्ञान से परिपूर्ण प्रशांत हो चले थे। प्राप्तव्य कुछ भी शेष न था, कामना कुछ…
मैंने मृत्यु को देखा है, करीब से महसूस किया है, और मृत्यु से डरा भी हूँ। मैं मृत्यु से डरता हूँ, क्योंकि डरना मेरी प्रकृति है, मृत्यु सत्य है, सहज…